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प्रदूषण से होने वाली एलर्जी

चाहे आप किसी भीड़भाड़ वाले शहर में रहते हों, बाहरी इलाके में रहते हों या ग्रामीण इलाके में, वायु प्रदूषण से हम सबका सामना कभी न कभी ज़रूर होता है। तेज़ औद्योगिक विकास और सड़कों पर वाहनों की तेज़ी से बढ़ती हुई संख्या के कारण प्रदूषण से बचना और भी मुश्किल हो गया है।

मोटर वाहनों और कारखानों से अत्यधिक मात्रा में निकलने वाले नाइट्रोजन डाइऑक्साइड, सल्फर डाइऑक्साइड, और डीज़ल एग्ज़ॉस्ट जैसे रसायन हमारी हवा को प्रदूषित कर रहे हैं। डब्ल्यूएचओ के एक हालिया अध्ययन से यह चौंकाने वाला निष्कर्ष सामने आया है कि धरती पर मौजूद हर 10 में से 9 व्यक्ति अत्यंत प्रदूषित हवा में साँस ले रहे हैं।

भारत पूरे विश्व में सबसे ज़्यादा प्रदूषित देशों में से एक है। दरअसल विश्व के 10 सबसे ज़्यादा प्रदूषित शहरों में से 9 शहर तो भारत में ही हैं।

आमतौर पर इन प्रदूषकों से सामान्य लोगों में आँख, नाक और वायु-मार्ग में जलन पैदा होती है, लेकिन एलर्जी से पीड़ित लोगों के लिए यह स्थिति अत्यंत दुखदायी होती है। यह भी ज्ञात तथ्य है कि वायु प्रदूषक कुछ पराग की एलर्जीकारक क्षमता को भी बदल देते हैं, क्योंकि इनमें इन एलर्जीकारकों को और महीन हिस्सों के तौर पर फैलाने की क्षमता होती है।

प्रदूषण से होने वाली एलर्जी को बढ़ाने वाले कारक

सिगरेट का धुआँ, परफ्यूम, एरोसोल स्प्रे (aerosol spray), मोटरवाहनों के डिस्चार्ज और कीटनाशकों के साथ-साथ औद्योगिक प्रदूषक भी “तंग करने वाले कारकों" का काम करते हैं, जिनके कारण एलर्जिक प्रतिक्रिया हो सकती है।

प्रदूषण से होने वाली एलर्जी के लक्षण

जिन लोगों को केवल प्रदूषण से एलर्जी हैं, उन्हें खुजली, गले में ख़राश , नाक बहने, छींक आने और आँखों में पानी आने की समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। हालाँकि जो लोग दूसरी वायुजनित एलर्जी, खासकर पराग से होने वाली एलर्जी से पीड़ित हैं, उनमें लक्षण ज़्यादा गंभीर हो सकते हैं और उन्हें डॉक्टरी मदद की ज़रूरत पड़ सकती है।

प्रदूषण से होने वाली एलर्जी को रोकने के उपाय

इसके लिए आपको डिस्पोज़ेबल फेस मास्क पहनने की सलाह दी जाती है। खासकर जब आप भारी ट्रैफिक के बीच सफ़र कर रहे हों, तब ये बहुत ज़रूरी हो जाता है। धुएँ वाले कमरों या क्षेत्रों से बचें। अगर आप धूम्रपान करते हैं तो एलर्जी पीड़ित लोगों की भलाई के लिए इस आदत को छोड़ देना ही सबसे बढ़िया तरीका है। प्रदूषकों को अंदर आने से रोकने के लिए खिड़कियाँ बंद रखें और अपने कमरे की हवा को साफ़ रखने के लिए एसी (AC) का इस्तेमाल करें। तेज़ परफ्यूम के इस्तेमाल से बचें और अपने दोस्तों/परिवार के सदस्यों को भी ऐसा करने की सलाह दें। जब एलर्जी पीड़ित लोगों के अतिसंवेदनशील होने की संभावना हो, तब ये ज़रूरी हो जाता है। आप नशा-रहित एंटी-हिस्टमाइन औषधियों जैसे, फेक्सोफेनाडाइन (Fexofenadine), लोराटाडाइन (Loratadine), आदि का भी इस्तेमाल कर सकते हैं, लेकिन सही चिकित्सा के लिए कृपया अपने डॉक्टर की सलाह ही लें।

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