आउटडोर एलर्जी के बढ़ने में कारख़ानों और वाहनों से निकलने वाले प्रदूषक तत्व मुख्य भूमिका निभाते हैं। तेज़ गति से हो रहे विकास के साथ-साथ वाहनों की बढ़ती संख्या के कारण भारत में वायु प्रदूषण अब तक के अपने उच्चतम स्तर पर पहुँच चुका है। प्रदूषण के कारण होने वाली एलर्जी के परिणामों के बारे में पूरी जानकारी रखना बहुत ज़रूरी है।
और पढ़िएपौधों, खरपतवारों और घास से निकलने वाले कण, ‘पराग से होने वाली एलर्जी’ के सबसे आम कारणों में हैं। हालाँकि ऐसे पराग तो पूरे वर्ष भर मौजूद रहते हैं, लेकिन इनकी सघनता वसंत (फरवरी-अप्रैल) और गर्मियों (अप्रैल-जून) के महीनों में सबसे ज़्यादा होती है। पराग ज़्यादातर लोगों के लिए नुकसानदेह नहीं होते हैं, लेकिन जब आप इनके संपर्क में आते हैं, तब आपको एलर्जी होती है।
और पढ़िएफफूँद से होने वाली एलर्जी: फफूँद हमारे आसपास की तमाम सामान्य जगहों पर आसानी से पाई जाती है। सीलन वाली जगहों पर, गीली लकड़ियों और झड़े पत्तों पर फफूँद सबसे आसानी से उग आती है। ये सब फफूँद के ऐसे बीजाणु छोड़ सकते हैं जो ज़्यादातर लोगों पर बिलकुल असर नहीं करते, लेकिन फफूँद की एलर्जी से पीड़ित लोगों के लिए दिक्कत पैदा कर सकते हैं।
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