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एलर्जी आपके शरीर के प्रतिरक्षी तंत्र की ऐसे कुछ हानि-रहित बाहरी एलर्जीकारक पदार्थों, के प्रति अति-प्रतिक्रिया होती है, और जिन्हें प्रतिरक्षी तंत्र हानिकारक तत्व समझने की गलती कर बैठता है। एलर्जी से पैदा होने वाले आम लक्षणों में छींक आना, नाक बहना, आँखों में पानी आना, खुजली, चकत्ते, दस्त आदि हैं। इनके साथ-साथ कई और भी लक्षण हो सकते हैं। आमतौर पर एलर्जी बहुत गंभीर नहीं होती, लेकिन कुछ मामलों में ये जानलेवा हो भी सकती है, और इसके लिए तुरंत चिकित्सीय देखभाल की ज़रूरत होती है।

ज़्यादातर इनडोर एलर्जीकारक धूल घुन, पालतू जानवरों की रूसी, पेंट या फफूँद होते हैं, इसलिए इनमें से किसी से भी बच पाना बहुत ही मुश्किल होता है। इनके संपर्क में आने पर एलर्जिक प्रतिक्रिया हो सकती है, जिसे इनडोर एलर्जी कहते हैं। इनडोर एलर्जी के आम लक्षणों में आँखों में जलन, छींक आना, खाँसना, गले में सूजन या दर्द, नाक बंद होना या बहना शामिल हैं।

बाहर की दुनिया में एक से एक सुंदर जगह हैं, लेकिन इसमें पराग, प्रदूषण और फफूँद भी बहुत है। ये किसी भी आउटडोर एलर्जी के सबसे आम कारक होते हैं। जिस व्यक्ति को आउटडोर एलर्जी है, उसका इन एलर्जीकारकों में से किसी एक से भी ज़रा-सा संपर्क होने पर बड़ी आसानी से एलर्जिक प्रतिक्रिया हो सकती है। आउटडोर एलर्जी के सबसे आम लक्षणों में आँखों में खुजली, छींक आना, नाक बंद होना या बहना शामिल हैं।

इन दोनों में पहला अंतर इनके नामों से ही ज़ाहिर है। आउटडोर एलर्जी के घर के बाहर पाए जाने वाले पराग, प्रदूषण और फफूँद जैसे एलर्जीकारकों की वजह से होती है, जबकि इनडोर एलर्जी एलर्जेन धूल घुन, पालतू जानवरों की रूसी, फफूँद, खाद्य पदार्थ आदि की वजह से होती है। हालाँकि, इन दोनों प्रकार की एलर्जी के लक्षण आमतौर पर एक जैसे हो सकते हैं, लेकिन यह कब और कहाँ हों, इसमे अंतर होता है। 'अपनी एलर्जी को जानें' शीर्षक वाले टैब पर इसके बारे में और पढ़ें।

एलर्जी अति-संवेदनशीलता की समस्या है, जो आपके शरीर के प्रतिरक्षी तंत्र की आपके आसपास मौजूद सुरक्षित, हानि-रहित बाहरी पदार्थों के प्रति अति-प्रतिक्रिया से होती है। इसे बढ़ाने वाले कारक घर के अंदरर और बाहर मौजूद होते हैं। दूसरी तरफ दमा फेफड़ों की दीर्घस्थायी समस्या है जिसकी वजह से साँस लेना बहुत मुश्किल हो जाता है। दमा दो प्रकार का हो सकता है- एलर्जिक और गैर-एलर्जिक। गैर-एलर्जिक दमा तनाव, दवाओं, धुएँ, हवा के तापमान और साँस लेने वाले मार्ग के संक्रमण की वजह से होता है। एलर्जिक दमा हवा में मौजूद आम एलर्जीकारक जैसे पराग, धूल और फफूँद की वजह से भी हो सकता है। दमा के आम लक्षण खाँसी, साँस की घरघराहट, साँस फूलना और सीने में जकड़न आदि होते हैं। एलर्जी की तरह दमा का भी कोई इलाज नहीं है।

खाद्य पदार्थों से होने वाली एलर्जी तब होती है, जब प्रतिरक्षी तंत्र भोजन में मौजूद किसी हानि-रहित पदार्थ को नुकसानदायक हमलावर समझने की गलती कर, उससे शरीर का बचाव करता है। दूध, अंडा, सोयाबीन और गेहूँ से होने वाली आम एलर्जी से छोटे बच्चे किशोरावस्था तक पहुँचते-पहुँचते अक्सर छुटकारा पा लेते हैं। इसका दूसरा पहलू यह है कि आमतौर पर कोई भी खाद्य पदार्थ किसी भी समय एलर्जी पैदा करने लायक बन सकता है। खाद्य पदार्थों से होने वाली एलर्जी के आम लक्षणों में पाचन की समस्याएँ, पित्ती या वायुमार्गों में सूजन या गंभीर मामलों में ऐनफ़ाइलैक्सिस (anaphylaxis) शामिल हैं। आम एलर्जीकारकों में अंडे, दूध, मूँगफली, अखरोट, शेलफिश, गेहूँ और सोयाबीन शामिल हैं।

हालाँकि एलर्जी बार-बार होती है और इसकी पहुँच भी बहुत ज़्यादा है, लेकिन बदकिस्मती की बात है कि इसका इलाज नहीं हो सकता। इस बात पर ध्यान देना ज़रूरी है कि एलर्जी की दवाएँ भी इसका इलाज नहीं करतीं, वे सिर्फ एलर्जी के लक्षणों को शांत करती हैं। बेशक, इसके लिए कड़ी मेहनत और लगन की ज़रूरत होती है, लेकिन उचित देखभाल और सावधानी बरतकर आप एलर्जी के लक्षणों से छुटकारा पा सकते हैं और सामान्य तथा सेहतमंद जीवन जी सकते हैं।

ज़्यादातर एलर्जी के आम लक्षणों में खाँसी, छींक आना, आँखों में जलन, चकत्ते और बंद या बहती नाक शामिल हैं। हालाँकि कुछ गंभीर और दुर्लभ मामले भी होते हैं जिनमें एलर्जिक प्रतिक्रिया जानलेवा हो सकती है। आमतौर पर ऐसा तब होता है जब एलर्जिक प्रतिक्रिया की वजह से जानलेवा ऐनफ़ाइलैक्सिस होता है। ऐनफ़ाइलैक्सिस से साँस बंद हो सकती है और आपका रक्तचाप बहुत ज़्यादा गिर सकता है जिससे जान खतरे में पड़ सकती है। हालाँकि एलर्जी के सबसे सामान्य लक्षणों का इलाज और रोकथाम संभव है, लेकिन ऐनफ़ाइलैक्टिक शॉक के मामले में व्यक्ति को तुरंत चिकित्सीय देखभाल की ज़रूरत होती है, क्योंकि यह हालत जानलेवा हो सकती है।

हे फ़ीवर ना तो हे यानी भूसे से संबंधित होता है और ना ही यह भूसे की वजह से होने वाला बुखार है। दरअसल यह हवा में पैदा होने वाले एलर्जीकारकों जैसे पराग, पालतू जानवरों की रूसी या धूल घुन और उत्तेजकों जैसे सिगरेट का धुआँ, परफ्यूम और डीज़ल उत्सर्जन के प्रति एलर्जिक प्रतिक्रिया है। हे फ़ीवर ज़्यादातर वायुजनित एलर्जीकारकों के प्रति संवेदनशील होता है और इसे जुकाम समझने की गलती नहीं करनी चाहिए। दूसरी तरफ, एलर्जी सभी प्रकार के एलर्जीकारकों से हो सकती हैं, चाहे वे वायुजनित हों, सीधे संपर्क में आने वाले हों या ख़ास खाद्य पदार्थ के सेवन से होने वाले हों। एलर्जी किसी भी तरह के एलर्जीकारक से हो सकती है, जबकि हे फ़ीवर सिर्फ वायुजनित एलर्जीकारक से होता है।

अब आप अच्छी तरह यह समझ चुके होंगे कि एलर्जी जीवन में किसी भी अवस्था में हो सकती है, हालाँकि बचपन में हे फ़ीवर या एलर्जिक रायनाइटिस (allergic rhinitis) होने के आसार सबसे ज़्यादा होते हैं। इसका सकारात्मक पहलू यह भी है कि जिन बच्चों को बहुत छोटी आयु में खाद्य पदार्थों से होने वाली एलर्जी होती है, वे बड़े होकर इस एलर्जी से छुटकारा पा सकते हैं। बच्चा अपनी किशोरावस्था में दूध, अंडे, सोयाबीन और गेहूँ जैसे खाद्य पदार्थों से होने वाली एलर्जी से उबर सकते हैं। दुर्भाग्यवश, वयस्कों के साथ ऐसा नहीं हो पाता। दरअसल, ऐसा देखा गया है कि वयस्कों में नई-नई एलर्जी बार-बार अचानक से होती है। आप भले ही अब तक सामान्य तरीके से जीवन जीते रहे हों, लेकिन वयस्क होने पर आमतौर पर सुरक्षित माने जाने वाली चीज़ भी अचानक से एलर्जी पैदा करने लायक बन सकती है। दोनों के लिए एलर्जी के लक्षण लगभग एक जैसे ही होते हैं।

एलर्जी की वजह से एलर्जी-पीड़ित लोगों को बहुत परेशानी हो सकती है और इससे उनके जीवन पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है। यह सच है कि एलर्जी का कोई इलाज नहीं है, लेकिन वयस्कों/ नौजवानों और बच्चों दोनों में एलर्जी के लक्षणों और प्रतिक्रियाओं को रोकने के नए-नए तरीके ढूँढ़ने के प्रयासों में काफी प्रगति हुई है। एलर्जी के लक्षणों को संभालने के लिए कई सुरक्षित नुस्खे और नशा रहित ऐंटीहिस्टामाइन (non-sedative antihistamine) हैं, जैसे फ़ेक्सोफेनाडाइन (Fexofenadine), लोराटाडाइन (Loratadine) डीकॉन्जेस्टेंट (decongestants) और एलर्जी शॉट्स आदि। बच्चों की (बच्चों की एलर्जियाँ > एलर्जी रोकने के लिए लिंक) और वयस्कों/ नौजवानों की (एलर्जियों की परख > उपाय) एलर्जी को संभालने के बारे में विस्तार से जानकारी पाने के लिए उनके संबंधित टाइटल/ शीर्षक पर क्लिक करें।