धूल के कण होते तो छोटे और बारीक हैं, लेकिन परेशानी ये काफ़ी बड़ी पैदा कर सकते हैं। बिलकुल यही बात घुन के मामले में भी सच है -जो छोटे-छोटे सूक्ष्म जीव होते हैं, और घर की धूल, इंसानी त्वचा की नन्हीं परतों और हवा में मौजूद नमी पर पलते हैं। कुल मिलाकर ये साल के सभी महीनों में मौजूद रहने वाले और सबसे ज़्यादा पाए जाने वाले इनडोर एलर्जीकारक तत्वों में शामिल हैं।
धूल के कण सभी मौसमों में फैलते रहते हैं और इसलिए धूल की एलर्जी से पीड़ित लोगों को वर्ष भर लगातार एलर्जिक प्रतिक्रियाओं का जोखिम बना रहता है। धूल दुनिया भर में लगभग सभी घरों में मौजूद होती है। घुन की भी लगभग 13 ज्ञात प्रजातियाँ हैं जो सभी हमारे घरेलू माहौल में पूरी तरह ढल चुकी हैं। घुन 20 से 25 डिग्री सेल्सियस के सामान्य तापमान और 70%-80% नमी में फल फूल सकता है। यह घुन फर्नीचर की गहरी परतों, बिस्तरों, कालीनों के साथ-साथ स्टफ्ड खिलौनों तक में पाया जाता है।
धूल से होने वाली एलर्जी का सबसे बुरा पहलू यह है कि इससे पीड़ित व्यक्ति घर में रहते समय सबसे ज़्यादा परेशान रहता है। इस एलर्जी का जोखिम वैक्यूम करने, झाड़ू-पोछा करते समय और झाड़ू लगाने के दौरान और उसके तुरंत बाद सबसे ज़्यादा रहता है। सफाई के दौरान धूल और घुन के कण हवा में उड़ने लगते हैं और साँस के अंदर चले जाते हैं।
आपके घर में मौजूद धूल के कण इस इनडोर एलर्जी के सबसे आम कारक होते हैं। फफूँद, रोएँ और पराग तथा जानवरों के बालों जैसे दूसरे जैविक एलर्जीकारकों से भी एलर्जी हो सकती है।
धूल से होने वाली एलर्जी से पीड़ित व्यक्ति में छींक, नाक बहने या बंद होने, आँखों में खुजली या पानी आने, साँस में घरघराहट, खाँसी, गले में ख़राश जैसे कई दूसरे लक्षण हो सकते हैं। धूल और घुन की एलर्जी के संबंध में दमा के लक्षण भी शुरू होते देखे गए हैं।
धूल के कणों और घुन से बचना मुश्किल तो हो सकता है, लेकिन उचित कदम उठाकर इनके असर को कम से कम ज़रूर किया जा सकता है। इसके लिए तकियों, गद्दों और कुशन में एयरटाइट, प्लास्टिक के कवर का इस्तेमाल करें। अपने सभी बिस्तरों और गिलाफों को हफ्ते में एक बार 130 डिग्री फारेनहाइट (या 54.4 डिग्री सेल्सियस) तापमान वाले बहुत गर्म पानी से धोएँ। इस तापमान पर घुन मर जाती है। सारे सामान को गर्म ड्रायर में सुखाएँ। अपने घर को साफ़ और सूखा रखें। एयर कंडीशनर या डीह्यूमिडीफायर का इस्तेमाल करें, ताकि घर में नमी 30 से 50% के बीच बनी रहे। पक्के फर्श पर गीले पोंछे से सफाई करें और अपने घर को वैक्यूम क्लीनर से अक्सर साफ़ करते रहें। झाड़ू-पोंछा और वैक्यूम करते समय डस्ट मास्क पहनें, ताकि हवा में तैरने वाले धूल के कण साँस में न जा सकें।